Sunday, March 23, 2008

सोना, चाँदी ख़रीद सकते हो
आप कुछ भी ख़रीद सकते हो

बादशाहत का मोल हो शायद
क्या फ़क़ीरी ख़रीद सकते हो
पवन दीक्षित

Saturday, March 1, 2008

क्या मिला

क्या किताबों में मिला, और क्या रिसालों में
सुख मिला भी तो मिला है महज़ ख़यालों में
मेरी परछाईं तक ने मुझसे साफ साफ कहा-
“मैं तेरा साथ तो दूंगी, मगर उजालों में “

तुझे ही शौक था, सबको जबाब देने का
उलझ के रह गई ना ज़िन्दगी सवालों में

शहर मे दर्द अकेले का, गाँव मे सबका
यही है फ़र्क़, शहर वालों, गाँव वालों में

पवन दीक्षित