Thursday, January 24, 2008

ख़तरनाक है......

ये मंज़र सियासी, ख़तनाक है
के सारी फ़िज़ा ही, ख़तरनाक है
मेरे ऐब को भी बताये हुनर
मेरे यार तू भी ख़तरनाक है

बुरे लोग दुनिया का ख़तरा नहीं
शरीफ़ों की चुप्पी ख़तरनाक है
पवन दीक्षित

1 comment:

Unknown said...

बुरे लोग दुनिया का ख़तरा नहीं
शरीफ़ों की चुप्पी ख़तरनाक है

Awesome! a very deep thinking and great art of presentation in poetry form.

Himani