Saturday, April 5, 2008

मुद्दतों बाद

मुद्दतों बाद इक नज़र देखा
चाहते तो न थे मगर देखा
खुद ब खुद पास आ गई मन्ज़िल
जब मेरा जज़्बाए-सफ़र देखा
खुद की कमियाँ नज़र नहीं आईं
आईना यूँ तो उम्र भर देखा

2 comments:

mehek said...

bahut khub

Kavi Kulwant said...

vijeMdra jI ने आप की तरफ रुख किया मेरा.. बहुत अच्छा लगा.. आप को पढ़ कर..

कवि कुलवंत सिंह
http://kavikulwant.blogspot.com
मिलने की तमन्ना है आप से..