दिन ब दिन ख़ुशहाल ये जो मेरा घर होने लगा
हो न हो, माँ की दुआओं का असर होने लगा
तब कहाँ था तू बता, जब दूर थी मंज़िल मेरी
आज मंज़िल पास है तो हमसफ़र होने लगा
यार हम दोनों को ही ये दुश्मनी महंगी पड़ी
रोटियों का ख़र्च तक बन्दूक पर होने लगा
तंग-दस्ती में सभी, मिलने से कतराने लगे
मांग लूंगा कुछ मदद, सबको ये डर होने लगा
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