Wednesday, April 23, 2008

उनके कहे से हो गया जो बदगुमान तू
पूरी न कर सकेगा, परिन्दे उड़ान तू

रोयेंगे तेरे साथ में, हँस देंगे बाद में
किनको सुनाने बैठ गया दास्तान तू

रहता है जिस मकान में तेरा नहीं है वो
बदलेगा जाने और भी कितने मकान तू
मुझसे ख़फ़ा हैं, तुझपे मेहरबान हैं,तो फिर
बोलेगा भला क्यों न अब, उनकी ज़बान तू
हँस के करे है बात, तो कुछ बात है ज़रूर
होवे, बग़ैर बात, भला मेहरबान तू
पवन दिक्षित

1 comment:

Rajneesh said...

bahut umda.............