Sunday, April 13, 2008

आदमी बे-ज़बान लगता है
दर्द की दास्तान लगता है

अबके चौकस रहूंगा मैं यारो
फिर से वो मेहरबान लगता है

है हकीक़त में इक ख़ला ख़ाली ... जो तुझे आसमान लगता है
ख़ला = शून्य

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