Saturday, May 10, 2008

रोता रहा

कोई उसका दुख न समझा, वो सदा रोता रहा
सब मज़ा लेते रहे, और मसख़रा रोता रहा
इक दुल्हन डोली में बैठी, टूट कर रोती रही
बन्द कमरे में इधर, इक सरफिरा रोता रहा
लाख वो हँसता रहा होगा वफ़ाओं पर मेरी
पर सुना, हो कर जुदा, वो बेवफ़ा रोता रहा
ये सुना था, जो तेरा है, मुस्कुराता है सदा
मैं तो सारी ज़िन्दगी, मेरे ख़ुदा रोता रहा
ख़ुश रहा वो, सब्र से काटी है जिसने ज़िन्दगी
फेर में निन्यानवे के जो पड़ा, रोता रहा

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