Tuesday, May 13, 2008

किस ख़ूबी से अपना काम निकाला है
मैं तो समझा था वो भोला-भाला है
कितना हमको उन लोगों ने भटकाया
जो कहते थे रस्ता देखा- भाला है
लाख अंधेर मचा रक्खा हो झूठों ने
लेकिन सच का अपना एक उजाला है
आज उन्ही को बोझ लगे है “वो बूढ़ा”
”जिसने” उनको बोझा ढोकर पाला है
भूखे बच्चे ने दम तोड़ा है जब से
उस पगली के हाथ में एक निवाला है

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