Thursday, May 8, 2008

ईमान खो गया

करके जुगाड़ मेरा ये रुतबा तो हो गया
लेकिन इसी जुगाड़ में ईमान खो गया

पहले हरेक बदी से मुझे रोकता था ये
अब तो मेरा ज़मीर ही, लगता है सो गया
आया था इस मकान में कुछ दिन के वास्ते
करते रहो मलाल, वो मेहमान तो गया

याँ जन्म की ख़ुशी है तो वाँ मौत की ग़मी
आना था जिसको आ गया, जाना था सो गया

3 comments:

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर , लोकिन इस मेहमान को वापस बुला लें और दिल मे बसा लें ।

योगेन्द्र मौदगिल said...

अच्छे शेर कहें हैं पवन भाई, बधाई......

समयचक्र said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आभार