करके जुगाड़ मेरा ये रुतबा तो हो गया
लेकिन इसी जुगाड़ में ईमान खो गया
पहले हरेक बदी से मुझे रोकता था ये
अब तो मेरा ज़मीर ही, लगता है सो गया
आया था इस मकान में कुछ दिन के वास्ते
करते रहो मलाल, वो मेहमान तो गया
याँ जन्म की ख़ुशी है तो वाँ मौत की ग़मी
आना था जिसको आ गया, जाना था सो गया
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3 comments:
बहुत सुंदर , लोकिन इस मेहमान को वापस बुला लें और दिल मे बसा लें ।
अच्छे शेर कहें हैं पवन भाई, बधाई......
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आभार
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