तेरे ग़म से उबर चुका हूँ मैं
पहले वाला तो मर चुका हूँ मैं
मेरे दिल में वो शक्स उतरा है
जिसके दिल से उतर चुका हूँ मैं
जो गली कुल शहर की हसरत है
उससे बरसों ग़ुज़र चुका हूँ मैं
आसमाँ अब मुझे चिड़ाता है
जब ज़मीं पर उतर चुका हूँ मैं
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5 comments:
क्या बात है. बहुत अच्छे शेर.
मेरे दिल में वो शक्स उतरा है
जिसके दिल से उतर चुका हूँ मैं
जो गली कुल शहर की हसरत है
उससे बरसों ग़ुज़र चुका हूँ मैं
बहुत उम्दा.
गजब पवन भाई. बहुत खूब. छाये रहिये. :)
गज़ब पवन जी. बधाई दोस्त
eeआसमाँ अब मुझे चिड़ाता है
जब ज़मीं पर उतर चुका हूँ मैं
वाह...
***राजीव रंजन प्रसाद
मरे कहां हों
तम तो कल फिर आ जाओगे गजल सुनाने
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