इक दिन तो सच कहना थारखता उनका मन कब तकरचना बेहतरीन है, खास कर यह शेर..***राजीव रंजन प्रसाद
बहुत भायी हमें आपकी ये लघु रचना.....देखें इन दीवारों सेबचता है आँगन कब तकसचमुच दीवारें बढती जा रही हैं और आंगन लुप्त..
अच्छी रचना.
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इक दिन तो सच कहना था
रखता उनका मन कब तक
रचना बेहतरीन है, खास कर यह शेर..
***राजीव रंजन प्रसाद
बहुत भायी हमें आपकी ये लघु रचना.....
देखें इन दीवारों से
बचता है आँगन कब तक
सचमुच दीवारें बढती जा रही हैं और आंगन लुप्त..
अच्छी रचना.
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